मत देख निगाहों से ऐसी
अब जान निकल ही जायेगी
गर तू गलती से हँस देगी
सच है की क़यामत आएगी
Sunday, November 9, 2008
Wednesday, November 5, 2008
तुम जिन्दगी हो
पहले मैं तनहा रहता था
तन्हाई में ये कहता था
आ मौत मुझे गले से लगा
कुछ झपकियाँ दे मुझे
एक मीठी सी नींद सुला
मैंने तुझको ढूँढा
ट्रेन की पटरियों पर
पानी की गहरायिओं और
फलक की उचाइयों पर
साँस रोक ली अपनी मैंने
फिर भी तू मिलने न आई
आकर तो अब देख जरा
जीवन में कितनी धुंध है छाई
पल पल मरता हूँ मैं अब तो
अपने गम के बोझ तले
अब तो नही है मेरा कुछ भी
दिल में जैसे आग जले
पर जबसे तुमको देखा है
जीने की ख्वाहिश जागी है
प्यार मिला तो मैंने जाना
अभी तो जीना बाकी है
अब जीना है तेरी खातिर
अब न मुझको मरना है
तुम जिन्दगी मेरी हर खुशी
मरने से क्या डरना है
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